कश्मीर में आतंकी व अलगाववादी गतिविधियों के लिए टेरर फंडिंग दोषी यासीन मलिक को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। यासीन मलिक पर कई धाराएं लगी हुई थी जिनके तहत 10 लाख 75 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है। दिल्ली के पटियाला हाउस अदालत के न्यायधीश प्रवीण सिंह ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। 2017 में एनआइए ने उसे गिरफ्तार किया था, तब से वह जेल में था।
आतंकी संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चेयरमैन ने यासीन मालिक को पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया था। अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद आखिर बुधवार शाम को करीब 6 बजे न्यायधीश ने अपना फैसला पढ़ना शुरू किया। इससे पहले सजा पर बहस के दौरान यासीन मालिक के तेवर बदलते नजर आए। 10 मई को उसने सभी आरोप स्वीकार किए थे, लेकिन 25 मई को उसने कहा कि वह इन सभी आतंकी गतिविधियों में शामिल नहीं था। न्यायधीश प्रवीण सिंह ने कहा कि आरोपों के खिलाफ बात करने का समय दिया गया था। अब अपनी सजा कम कराने पर पक्ष रखे। इस पर यासीन मालिक ने कहा कि अदालत जो चाहे सजा दे सकती है। एनआइए ने मृत्यु दंड की बात की थी। यासीन मलिक कश्मीरी पंडित पलायन का भी जिम्मेदार है।उसने पाकिस्तानी संगठनों की मदद से धन जुटाकर घाटी में पत्थरबाजी और आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया था।