11 सितंबर 1893, यह महज एक तारीख नहीं है, बल्कि उस क्षण का गवाह बना जब शिकागो की धर्मसंसद में स्वामी विवेकानंद ने भाषण दिया था। यह वो दिन है, जब दुनिया ने पहली बार भारतीयता के दर्शन किए। भारतीय संस्कृति को जाना। स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में विश्व को वैदिक दर्शन का ज्ञान दिया और भारत के समृद्ध अतीत और अपार क्षमता की भी याद दिलाई। उन्होंने हमें खोया हुआ विश्वास, अपना गर्व और अपनी जड़े दी। उन्होंने न केवल विश्व पर अपनी छाप छोड़ी, बल्कि देश के स्वतंत्रता आंदोलन को नई ऊर्जा और नया विश्वास भी दिया।
शिकागो के ऐतिहासिक भाषण में स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था, “मुझे गर्व है कि मैं उस धर्म से हूं जिसने दुनिया को सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है। हम सिर्फ सार्वभौमिक सहिष्णुता पर ही विश्वास नहीं करते बल्कि हम सभी धर्मों को सब के रूप में स्वीकार करते हैं।”
प्रधानमंत्री मोदी ने इस दिवस को याद करते हुए कहा “विवेकानंद जी ने देश के लोगों में ‘हम कर सकते हैं, हम सक्षम है’ की भावना भरकर जागृत किया। यह आत्मविश्वास है यह विश्वास युवा संन्यासी के खून की प्रत्येक बूंद में था। उनका मंत्र था- ‘स्वयं मे विश्वास करो, देश को प्यार करो’ स्वामी जी के इस विजन के साथ भारत पूरे विश्वास से आगे बढ़ रहा है। यदि हम अपने आप में विश्वास करें तथा कठिन परिश्रम का पण करें तो हम क्या कुछ हासिल नहीं कर सकते। स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा से हमें एक नये भारत का निर्माण करना है।”