पहाड़ों में विकराल होती वनाग्नि अब रिहायशी क्षेत्रों तक पहुंच गई है। बागेश्वर में पांच मकान और दो गोदाम आग की चपेट में आ गए। गनीमत यह रही कि उन मकानों में कोई रहता नही था। बागेश्वर में जंगल की आग की चपेट में आने से कपकोट ब्लॉक के नामतीचेटाबगड़ में पांच मकान जल गए। मकानों में रखा सारा सामान आग की भेंट चढ़ गया। वहीं नैनीताल से पिथौरागढ़ तक अलग-अलग जगहों में भी जंगल आग की लपटों से धधकते रहे।
झिरौली, नैणी के जंगलों में लगी आग मैग्नेसाइट के गोदाम तक पहुंच गई। आग की चपेट में आने से दो गोदाम जलकर राख हो गए। दूसरी ओर अल्मोड़ा में जागेश्वर, लमगड़ा और जौरासी वन क्षेत्र में वनाग्नि की घटनाएं हुईं। फायर सीजन में कई हेक्टेयर वन क्षेत्र जलने के साथ ही लाखों का नुकसान भी हुआ है।
पिथौरागढ़ जिले के बेड़ीनाग क्षेत्र में शाह गराऊं, पोस्ताला, हजेती, जाख, बरसायत, उडियारी में बीते दो दिन से जंगल धधक रहे हैं। बेड़ीनाग, नाचनी में बाथीं-गुट, कोट्यूड़ा, हुपली के पंचायती वनों में ग्रामीणों की मदद से आग पर काबू पाया गया। थल क्षेत्र के वन पंचायत और वन विभाग के चीड़ के जंगलों में लगी आग से चारों ओर धुंध फैली हुई है।
नैनीताल जिले में खैरना-रानीखेत, ऊधमसिंह नगर के जसपुर से भी कईं वनग्नि किंघटनाएं सामने आईं जहां कईं एकड़ खेतों में आग ने नुकसान पहुंचाया। प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों के जंगलों में लगने वाली आग की घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।
मुख्य वन संरक्षक, वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन निशांत वर्मा ने बताया कि प्रदेश में अब तक 799 वनाग्नि की घटनाएं रिपोर्ट की जा चुकी हैं। जंगल में आग की इन घटनाओं से कुल 1133 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। जबकि अब तक 31 लाख रुपये से अधिक के आर्थिक नुकसान का जायजा लिया गया है।