चम्पावत के प्रसिद्ध गुरुद्वारे रीठा साहिब में बुद्ध पूर्णिमा के दौरान लगने वाला सालाना जोड़ मेला 14 मई से 16 मई तक आयोजित किया जाएगा। मेले की तैयारियों के संबंध में आज जिलाधिकारी विनित तोमर की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई। बैठक में जिलाधिकारी ने सभी संबंधित अधिकारियों को सभी व्यवस्थाएं पूरी करने के निर्देश दिए। मेले में दूरदराज के हजारों सिख तीर्थयात्री शिरकत करते हैं।

यहां से 75 किलोमीटर दूर रीठा साहिब में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जी महाराज की साधना और चमत्कारों का समागम है।चौथी उदासी के समय गुरु नानक देव के चरण यहां पड़े थे। तब से यह स्थान पवित्र तीर्थ बन गया। यहां के गुरुद्वारे में हर साल जोड़ मेला लगता है। बड़ी संख्या में तीर्थयात्री रतिया और लधिया नदी के संगम पर स्नान कर गुरु के दरबार में मत्था टेकते हैं। श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में मीठे रीठे दिए जाते हैं।

रीठा साहिब गुरुद्वारे में मीठे रीठे का भी इतिहास काफी पुराना है। जब नानक देव जी यहां ठहरे हुए थे उस दौरान गुरुनानक के शिष्य मरदाना को भूख लग गई। नानक देव जी ने उसे यहां निवास कर रहे गुरु गोरखनाथ के शिष्यों से भोजन मांग कर खाने का आदेश दिया। मरदाना ने भोजन देने का आग्रह किया तो साधुओं ने उसकी तौहीन करते हुए कहा कि जिस गुरु पर तुम्हें इतना गुमान है वह तुम्हारी भूख क्यों शांत नहीं कर देते। गुरु नानक देव जी ने शांत भाव से शिष्य मरदाना को सामने खड़े रीठे के पेड़ से फल खाने को कहा। रीठा स्वभाव से ही कड़वा होता है, पर जैसे ही मरदाना ने रीठे के फल खाए वह मिठास में बदल गए। गुरुद्वारा तब से आपसी एकता व सौहार्द की मिसाल बना हुआ है। भारत वर्ष ही नहीं अपितु विदेशों से भी यहा श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहुंचते है।