पंजाब के बाद अब कांग्रेस ने उत्तराखंड में भी दलित मुख्यमंत्री के दांव को खेलने के संकेत दिए हैं। पंजाब में अनुसूचित जाति के नेता चरणजीत सिंह चन्नी को सत्ता के कुर्सी तक पहुंचाकर उत्तराखंड लौटे हरीश रावत ने बोला कि वह खुद को सीएम की रेस से बाहर करते हुए एक दलित को सीएम बनते देखना चाहते हैं।
उत्तराखंड में पूर्व सीएम हरीश रावत ने परिवर्तन यात्रा को संबोधित करते हुए कहा कि मैं मां गंगा से प्रार्थना करता हूं कि मेरे जीवन में भी ऐसा क्षण आए जब उत्तराखंड से एक दलित और गरीब शिल्पकार के बेटे को इस राज्य का मुख्यमंत्री बनता देख सकूं। उन्होंने संबोधित करते हुए आगे कहा कि दलित वर्ग कितना कांग्रेस के साथ खड़ा है यह अहम नहीं है बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि दलित समाज ने कितने वर्षों तक कांग्रेस को सहारा देकर केंद्र व राज्यों में सत्ता में पहुंचाने का काम किया है। अवसर मिला तो उनकी आकांक्षाओं के साथ कांग्रेस चलेगी।
हरीश रावत का दलित सीएम बनाने वाला बयान ऐसे समय आया है जब वो राज्य के सबसे बड़े कांग्रेसी नेता हैं और 2022 के चुनावों में पार्टी के सत्ता में लौटने की स्थिति में उन्हें मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे देखा जा रहा है। ऐसे में उन्होंने खुद के बजाय दलित सीएम का दांव खेलकर एक साथ कई सियासी समीकरण साधने का दांव चला है।