श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का पर्व जन्माष्टमी पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस पर्व की महत्ता हिंदू धर्म में अद्भुत है जो भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव की परंपरा से जुड़ी है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव, गोकुल-मथुरा समेत देशभर में बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भजन, कीर्तन और मंदिरों में जगराता होता है। फिर रात 12 बजे भक्त भगवान की आराधना के बाद व्रत खोलते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार मथुरा में भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्य रात्रि में कृष्ण कन्हैया का जन्म हुआ था।

आज के दिन लोग व्रत रख, दिन भर पूजन करते हैं एवम् श्री कृष्ण की पालकी सजाते हैं अथवा भोग बनाते हैं। साल 2021 में जन्माष्टमी आज सोमवार, 30 अगस्त को मनाई जा रही है। बता दें कि अष्टमी तिथि की शुरुआत रविवार रात 11 बजकर 25 मिनट से हुई थी जो आज देर रात 1 बजकर 59 मिनट तक रहेगी।

इस जन्माष्टमी आइए भगवान् श्री कृष्ण द्वारा प्रदान किये गए कुछ विचार्रों को जाने और उन्हें आत्मसात करने का प्रयत्न करें।

जिंदगी में कभी अपने हुनर पर घमंड मत करना
क्योंकि पत्थर जब पानी में गिरता है तो अपने ही
वजन से डूब जाता है। “जो व्यक्ति अपने कर्म से विमुख हो जाता है,
उसका भगवान भी आदर नहीं करते हैं’

क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है।
जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है।
जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है।

एक चुप सौ को हराए, एक मूर्ख के लिए चुप रहने से अच्छा उत्तर कोई नहीं है।

कर्म का फल व्यक्ति को उसी तरह ढूंढ लेता है जैसे कोई
बछड़ा सैकड़ों गायो के बीच अपनी मां को ढूंढ लेता है।

आत्मा को शस्त्र नहीं काट सकता
अग्नि नहीं जला सकती
जल नहीं बुझा सकता
वायु नहीं सुखा सकती।

आत्मा का अंतिम लक्ष्य परमात्मा में मिल जाना होता है।

अयिए हम श्री कृष्ण की बताई इस ज्ञान की मोती रूपी माला को अपने जीवन में धारण कर सुख की प्राप्ति करें।