सीएम ने ट्वीट कर लिखा ‘सभी प्रदेशवासियों क पावन लोकपर्व “घी संक्रांति” की हार्दिक शुभकामनाएं। लोकपर्व हमारी सांस्कृतिक विरासत का मजबूत स्तंभ होता है जिसे पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी हम सबकी है।’

जनिये क्यों मनाया जाता है घी संक्रांति का यह त्यौहार
उत्तराखंड के सभी लोक पर्वो की तरह घी संक्रांति भी प्रकृति एवं स्वास्थ को समर्पित त्यौहार है. पूजा पाठ करके इस दिन अच्छी फसलों की कामना करते हैं व अच्छे स्वास्थ के लिए घी एवं पारम्परिक पकवान खाये जाते हैं।


उत्तराखंड की लोक मान्यता के अनुसार इस दिन घी खाना जरूरी होता है। कहते हैं, जो इस दिन घी नही खाता उसे अगले जन्म में घोंघा( गनेल) बनना पड़ता है। घी त्यार के दिन खाने के साथ घी का सेवन जरूर किया जाता है और घी से बने पकवान बनाये जाते हैं।

इस दिन सबके सिर में घी रखते हैं और घर के बड़े बुजुर्ग ‘जी राये जागी राये’ के आशीर्वाद के साथ छोटे बच्चों के सिर में घी रखते हैं और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में घी, घुटनो और कोहनी में लगाया जाता है।