उत्तरकाशी जिले की नेलांग घाटी चीन सीमा से लगी है। माना जाता है कि भारत और तिब्बत के बीच एक प्राचीन व्यापार मार्ग पर गरतांग गली पुल पेशावर पठानों द्वारा बनाया गया था। साल 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद इस लकड़ी के सीढ़ीनुमा पुल को बंद कर दिया गया था जो अब लगभग 59 सालों बाद दोबारा पर्यटकों के लिए खोला गया है। गरतांग गली में खड़ी चट्टानों को काटकर लकड़ी से निर्मित सीढ़ीदार ट्रैक बनाया गया है।
गरतांग गली लकड़ी का पुल 11,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसकी लंबाई 136 मीटर औ चौड़ाई 1.8 मीटर है। इस पुल की सीढ़ियों को इस साल जुलाई में 64 लाख रुपये खर्च कर पुनः निर्माण किया गया। इसके बाद बीते बुधवार को इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया गया।
एक रिपोर्ट के अनुसार, आजादी से पहले तिब्बत के साथ व्यापार के लिए इस पुल का इस्तेमाल ऊन, चमड़े के वस्त्र और नमक को बदहाट ले जाने के लिए किया जाता था। उत्तरकाशी के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने कहा कि कोविड दिशा-निर्देशों के अनुपालन में एक बार में केवल दस लोगों को ही पुल से गुजरने दिया जा रहा है। उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा “गरतांग गली ट्रेक के खुलने से राज्य में साहसिक पर्यटन गतिविधियों में एक नया आयाम जुड़ गया है। पुल का ऐतिहासिक और रणनीतिक महत्व है और यह प्राचीन काल से अपने पड़ोसियों के साथ देश के सौहार्दपूर्ण व्यापार संबंधों को प्रदर्शित करता है। “